ये शोर का शहर है।
कितनी तेज भाग रही है ज़िंदगी...
किसी तरफ तो ज़रूर जा रही होगी?
या शायद सिर्फ गोल घूमे जा रही है।
इस भागम भाग में पीछे छूट गया बेचारा सच।
अटल, अडिग और गहरा कहलाने वाला,
क्या अपने ही खूबियों का मारा है ये सच?
सच को ज्यादा ही भरोसा था खुद पे,
उसे भनक भी नहीं लगी और रंग बिरंगे
गुब्बारे नुमा झूठ ने उसे मात दे दी।
अब ये करे भी तो क्या बेचारा,
वो हवा भरे गुब्बारे फुर्र कर के उड़ गए...
ये टीका रहा, सिद्धांतों वाला जो ठहरा।
पर हम कैसे इन गुब्बारों से बहल गए?
माना ये रंगीन हैं, लेकिन अंदर से खोखले।
ये एक दिन सीकुड़ेंगे, हम रोते रह जाएंगे।
हमें थमना होगा, ज़रूरत पड़े तो पीछे मुड़ना होगा।
सच ने हमारा साथ खूब दिया।
अब उसे ज़रूरत है, तो हमें सहारा बनना होगा।
सच का साथ मत छोड़ ओ हमराही।
वो हमारा ही हिस्सा है, हम उसी के टुकड़े है।
Tuesday, February 22, 2011
Monday, February 21, 2011
The painted Stork
"Hey Mister! I ain't no ordinary bird. I am painted Stork. Don't you know that? Springs on the corner and its breeding high time besides thousands of humans are flocking to see us. You should be grateful that I am posing for you. A shallow smile.. that's it."
"Thats enough dude! Sorry no more pics please. I have to rush back to my nest and feed my family. Yeah.. do mail me the pics. You got my email id naa ?"
"Hey!!! No photos of my family. Privacy invasion!!!! rings any bell?
Thursday, February 17, 2011
Butterflies files..
Monday, February 14, 2011
शायद मुझे चलना चाहिए।
प्यार वाला प्यारा सा दिन और मद्धम बिखरति बारिश।
फिज़ाओं ने सुन ली हो जैसे, किसी के दिल की खवाहिश।।
हैं अगर आज इतनी ही मेहरबानियाँ, तो ज़रा हमारी भी सुन ले।
कबसे है उम्मीद को लगाए बैठे, कोई हमें भी गले लगा ले।।
सरसराती हवा किसी की खुशबू लायी है, जब ढूंडा तो कोई नहीं।
घूम फिर के ये रात फिर आई है, पर मैं अकेला खड़ा वहीं।।
शायद मुझे चलना चाहिए, उम्मीद की गाड़ी पे भटकना चाहिए।
बहुत हो रखा इंतज़ार, अब इम्तेहान से गुजरना चाहिए।।
फिज़ाओं ने सुन ली हो जैसे, किसी के दिल की खवाहिश।।
हैं अगर आज इतनी ही मेहरबानियाँ, तो ज़रा हमारी भी सुन ले।
कबसे है उम्मीद को लगाए बैठे, कोई हमें भी गले लगा ले।।
सरसराती हवा किसी की खुशबू लायी है, जब ढूंडा तो कोई नहीं।
घूम फिर के ये रात फिर आई है, पर मैं अकेला खड़ा वहीं।।
शायद मुझे चलना चाहिए, उम्मीद की गाड़ी पे भटकना चाहिए।
बहुत हो रखा इंतज़ार, अब इम्तेहान से गुजरना चाहिए।।
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