Monday, February 14, 2011

शायद मुझे चलना चाहिए।

प्यार वाला प्यारा सा दिन और मद्धम बिखरति बारिश।
फिज़ाओं ने सुन ली हो जैसे, किसी के दिल की खवाहिश।।

हैं अगर आज इतनी ही मेहरबानियाँ, तो ज़रा हमारी भी सुन ले।
कबसे है उम्मीद को लगाए बैठे, कोई हमें भी गले लगा ले।।

सरसराती हवा किसी की खुशबू लायी है, जब ढूंडा तो कोई नहीं।
घूम फिर के ये रात फिर आई है, पर मैं अकेला खड़ा वहीं।।

शायद मुझे चलना चाहिए, उम्मीद की गाड़ी पे भटकना चाहिए।
बहुत हो रखा इंतज़ार, अब इम्तेहान से गुजरना चाहिए।।

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